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केंद्र के कानूनों के खिलाफ छत्तीसगढ़ ने किया मंडी अधिनियम में संशोधन

रायपुर, 28 अक्टूबर (आईएएनएस)। केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में लागू किए गए कृषि कानूनों को निष्प्रभावी करने के मकसद से छत्तीसगढ़ में कृषि उपज मंडी अधिनियम में संशोधन किया गया है। हालांकि प्रदेश सरकार का कहना है कि कानून में संशोधन से केंद्रीय कानूनों का अतिक्रमण नहीं हो रहा है। छत्तीसगढ़ विधानसभा के विशेष सत्र के दौरान मंगलवार को छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी (संशोधन) विधेयक 2020 चर्चा के बाद ध्वनिमत से पारित कर दिया गया।

छत्तीसगढ़ के कृषि मंत्री रविन्द्र चौबे ने सदन में विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा कि इस संशोधन विधेयक का कोई भी प्रावधान केन्द्र के कानून का उल्लंघन नहीं करता है। उन्होंने कहा, हम केन्द्रीय कानूनों का अतिक्रमण नहीं कर रहे हैं। इस संशोधन विधेयक के माध्यम से छत्तीसगढ़ के किसानों के हितों और अधिकारों की रक्षा हो सकेगी।

कृषि मंत्री ने कहा कि छत्तीसगढ़ की आर्थिक और सामाजिक व्यवस्था कृषि पर आधारित है। उन्होंने कहा कि केन्द्र सरकार के नए कानूनों से कृषि व्यवस्था में पूंजीपतियों का नियंत्रण बढ़ने के साथ ही महंगाई बढ़ने, समर्थन मूल्य में धान खरीदी और सार्वभौम पीडीएस प्रणाली के प्रभावित होने की आशंका है। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी (संशोधन) विधेयक से किसानों, गरीबों, मजदूरों और उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा की जा सकेगी।

कृषि मंत्री ने संशोधन विधेयक के उद्देश्य और कारणों पर प्रकाश डालते हुए कहा, प्रदेश में 80 प्रतिशत लघु एवं सीमांत कृषक हैं। लघु एवं सीमांत कृषकों की कृषि उपज भंडारण तथा मोल-भाव की क्षमता नहीं होने से, बाजार मूल्य के उतार-चढ़ाव तथा भुगतान की जोखिम को ²ष्टिगत रखते हुए, उनकी उपज की गुणवत्ता के आधार पर सही कीमत, सही तौल तथा समय पर भुगतान सुनिश्चित कराने हेतु डीम्ड मंडी तथा इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफार्म की स्थापना किया जाना कृषक हित में आवश्यक हो गया है।

उधर, विपक्ष ने मंडी कानून में इस संशोधन को असंवैधानिक बताया है। भारतीय जनता पार्टी के नेता और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इसे कांग्रेस का महज एक राजनीतिक एजेंडा करार दिया है।

छत्तीसगढ़ कृषि उपज मंडी (संशोधन) विधेयक, 2020 के विधानसभा से पारित होने और कानूनी स्वरूप मिलने के बाद यह पूर्वप्रभाव से दिनांक 5 जून 2020 से लागू होगा। विधेयक के प्रावधान के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति, जिसे अधिसूचित कृषि उपज के क्रय एवं विक्रय से संबंधित लेखा पुस्तिका या अन्य दस्तावेज, प्रारूप के संबंध में जानकारी देने के लिए धारा 20-क के अधीन अपेक्षित किया गया हो वह कोई जानकारी देने में जानबूझकर उपेक्षा करेगा या कोई जानकारी देने से इनकार करेगा या मिथ्या जानकारी या जानबूझकर मिथ्या जानकारी देगा, या लेखा-पुस्तकें या अन्य दस्तावेज, प्रारूप में संधारित मात्रा से अधिक या कम अधिसूचित कृषि उपज रखता हो, तो उसे दोष सिद्ध होने पर तीन महीने कारावास 5,000 रुपये जुमार्ना भरना होगा या उसे दोनों से दण्डित किया जाएगा। दोबारा इसी प्रकार की गलती करने की दोष सिद्धि पर उसे छह मास कारावास 10,000 रुपये जुमार्ना या दोनों से दंडित किया जाएगा।

पीएमजे-एसकेपी



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Chhattisgarh amended the Mandi Act against the laws of the Center
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RACHNA SAROVAR
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