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खादी कारीगर रेलवे के ऑर्डर में अनिश्चिता से असमंजस में

नई दिल्ली, 29 सितंबर (आईएएनएस)। भारतीय रेलवे द्वारा कोरोनावायरस महामारी के दौरान वातानुकूलित डिब्बों में यात्रा करने वाले यात्रियों को बेडशीट और पिलो कवर आदि उपलब्ध नहीं कराने के निर्णय से बुनकर और कारीगर के साथ-साथ केवीआईसी असमंजस में दिन काट रहे हैं। ये कारीगर और बुनकर खादी उत्पाद बनाते हैं।

इसका कारण यह है कि खादी इंडिया को रेलवे से चादरें, तकिए के कवर, तौलिये और अन्य सामानों की आपूर्ति करने के लिए 39.25 करोड़ रुपये के ऑर्डर मिले थे, जिस पर अब अनिश्चितता बढ़ गई है। ये 57 ऑर्डर्स विभिन्न रेलवे जोन के माध्यम से किए गए थे।

रेल मंत्रालय के एक सूत्र ने बताया कि खादी इंडिया के चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और सीईओ वीके यादव को लिखा था कि यदि रेलवे ने आदेश रद्द कर दिया या डिलीवरी लेने से इनकार कर दिया तो हमारे खादी कारीगरों और संस्थानों को अपूर्णीय क्षति होगी।

खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने कहा कि वह सामाजिक कार्य का समर्थन करने और महामारी के दौरान भी इस क्षेत्र से जुड़े हाशिए में रहने वाले खादी कारीगरों और बुनकरों को सशक्त बनाने में मंत्रालय का आभार व्यक्त किया।

केवीआईसी प्रमुख ने कहा कि, ये 57 खरीद ऑर्डर्स रेलवे जोन द्वारा स्वीकृति के लिए लंबित है।

सक्सेना ने बताया कि राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर के रेलवे स्पोर्ट लोगो के साथ केवीआईसी के तत्वावधान में निर्मित बेड रोल और तकिया कवर खुले बाजार में नहीं बेचे जा सकते हैं।

इस मुद्दे पर टिप्पणी के लिए रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को आईएएनएस द्वारा भेजे गए संदेशों पर कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।

रेलवे ने अपने यात्री, मेल और एक्सप्रेस ट्रेन सेवाओं को 25 मार्च से निलंबित कर दिया था। उसने 1 मई से लॉकडाउन में फंसे हुए प्रवासी कामगारों, छात्रों, तीर्थयात्रियोंऔर पर्यटकों को निकालने के लिए श्रमिक स्पेशल की शुरुआत की।

फिर 12 मई से 15 जोड़ी वातानुकूलित ट्रेनों को फिर से शुरू किया गया, हालांकि उसमें शर्त रखा गया कि एसी कोच के यात्रियों को चादर, तकिया कवर और तौलिया नहीं दिया जाएगा।

साल 2014 में सत्ता में आने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई पहलों के माध्यम से खादी उत्पादों के उपयोग पर जोर दिया है।

एमएनएस/एसजीके



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Unconvinced by orders of Khadi artisan railway
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Source From
RACHNA SAROVAR
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